महिलाओं की सेक्स की जरूरतें कम होती हैं और पुरुषों की ज्यादा क्योंकि महिलाएं सेक्स को लेकर उतनी उतावली नहीं होतीं जितने कि पुरुष होते है । पुरुष बुढ़ापे में भी उतने ही उतावले नजर आते हैं, जबकि उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं दिलचस्पी नहीं लेतीं। आखिर क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों? सेक्स के मामले में प्रकृति ने दोनों को इतना अलग क्यों बनाया है?

जहां तक बुढ़ापे में भी पुरुष के सेक्स को लेकर उतावला रहने की बात है, तो आपको बता दें कि पुरुष की कामेच्छा और कामशक्ति मरते दम तक बरकरार रहती है क्योंकि पुरुषों का सेक्स हॉर्मोन आहिस्ता-आहिस्ता कम होता है, और वहीं महिलाओं में मीनोपॉज के बाद सेक्स हॉर्मोन में एकदम गिरावट आ जाती है।

हॉर्मोन में आई इस अचानक कमी की वजह से महिलाओं में लुब्रिकेशन कम हो जाता है। ऐसे में जब पुरुष प्रवेश करता है तो महिला को दर्द होता है। सेक्स का पूरा अनुभव ही उसके लिए कठोर हो जाता है, इसलिए अगली बार सेक्स करने का उसका मन ही नहीं करता है। इसी तरह महिलाएं भी सेक्स के दौरान दर्द और खराब अनुभव के कारण सेक्स में कम दिलचस्पी लेने लगती हैं, लेकिन उनकी कामेच्छा बनी रहती है और ऐसे में उनकी संतुष्टि उनके खुद के ‘हाथ’ में होती है।

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