मैं ब्वॉयफ्रैंड के साथ डेट पर जा रही हूं, मौसम तो हसीन होगा ना, मौसम विभाग ऐसी कॉल से परेशान , अंकल! आउटिंग पर जा रही हूं, मौसम रोमांटिक तो रहेगा न। भैय्या मानसून की क्या स्थिति है? रेत, गिट्टी, सीमेंट तैयार रखा है, छत डालें कि नहीं? बेटी की शादी है? पानी कब गिरेगा? टेंट लगवाएं या फिर हाल बुक करवाना ठीक रहेगा?

वरिष्ठ मौसम विज्ञानी एसके डे बताते हैं कि मानसून सीजन में दिन के 12 घंटों में 400 से अधिक फोन आते हैं। रोजाना करीब दो दर्जन फोन कॉल्स फिजूल की बात करने वालों के आते हैं। हाल ही में विदिशा के एक व्यक्ति ने फोन पर पूछा कि गिट्टी, रेत, सीमेंट का इंतजाम कर लिया है। छत डालना ठीक रहेगा या फिर पानी गिरेगा? मौसम विज्ञानी शैलेंद्र नायक ने बताया कि एक युवती ने फोन करके पूछा कि वह आउटिंग पर जा रही है, राजधानी का मौसम रूमानी रहेगा कि नहीं। कभी-कभी कुछ लोग भविष्यवाणी के बाद अपेक्षाकृत पानी नहीं गिरने पर मौसम केंद्र पर ही बरसने लगते हैं।

रोजाना आ रहे इस तरह के फोन कॉल्स  भोपाल के मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों के लिए सिरदर्द से कम नहीं हैं। हवाई उड़ानों के लिए हवा, पानी, बादल आदि की पल-पल की सूचना देने वाले मौसम विज्ञान केंद्र की भूमिका मानसून सीजन में और भी संवेदनशील हो जाती है।

इसके लिए 48 घंटे पहले संभावित मौसम की भविष्यवाणी से शासन, प्रशासन, रेलवे आदि को अवगत कराया जाता है। इस बीच में प्रदेशभर के किसान भी बोवनी करने, फसल का चयन, कटाई जैसे मामलों में भी मौसम विज्ञानियों से फोन पर सलाह लेते हैं, ताकि खेती के मामले में उन्हें नुकसान न उठाना पड़े।

 

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