30 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन के शिकार, कहीं आप भी तो नहीं , दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार हैं। इस कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। वे अक्षमता का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक ताजा रिपोर्ट में यह सच सामने आया है।

डब्ल्यूएचओ में मानसिक स्वास्थ्य व मादक पदार्थ दुरुपयोग विभाग के निदेशक शेखर सक्सेना कहते हैं, “मानसिक बीमारी को लेकर समाज की धारणा के कारण ही हमने मुहिम को “डिप्रेशन : लेट्स टॉक” (अवसाद : आओ चर्चा करें) नाम दिया है।

अवसाद से पीड़ित व्यक्ति के लिए किसी ऐसे इंसान से बात करना उपचार व सुधार की स्थिति में पहला कदम होता है जिस पर वह भरोसा करता हो। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस संबंध में किए जाने वाला निवेश भी बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस से पहले डब्ल्यूएचओ ने यह रिपोर्ट जारी की है। डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक डॉ. मार्गरेट चान ने कहा, “ये नए आंकड़े देखकर सभी देशों को अपनी आंखें खोल लेनी चाहिए। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने दृष्टिकोणों पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस मामले से तत्परता से निपटना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2005 से 2015 तक अवसादग्रस्त लोगों की संख्या में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इसे देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने एक साल लंबी एक मुहिम भी शुरू की है। इसका लक्ष्य लोगों को अवसादग्रस्त की मदद के लिए आगे आने को प्रोत्साहित करना है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मानसिक विकार को लेकर लोगों से सहयोग नहीं मिलने और इससे जुड़ी सामाजिक सोच के कारण कई अवसादग्रस्त व्यक्ति उपचार नहीं कराते, जबकि स्वस्थ जीवन जीने के लिए उन्हें इसकी आवश्यकता होती है। अवसाद आत्महत्या का एक बड़ा कारक है। इसकी वजह से हर वर्ष लाखों लोग आत्महत्या करते हैं।

 

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