पति को मरा हुआ दिखा कर पत्नी ने कहा उससे ऐसा काम कि वो मना नहीं कर सका , फैजाबाद के पीडब्लूडी की निर्माण शाखा-दो में एक ऐसा सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया जिसने यहां के विभागीय अफसरों के पैरों के नीचे की जमीन खिसका दी। वैसे यह प्रकरण चार महीने पहले का है लेकिन शुक्रवार को लखनऊ की विकासनगर पुलिस के राजफाश ने विभागीय लोगों को चौंका दिया। बेहद शातिराना अंदाज से ढका यह प्रकरण कनिष्ठ सहायक पद पर तैनात संजय ¨सह को दुर्घटना में मृत दिखाकर पत्नी सुषमा ¨सह के मृतक आश्रित में नौकरी लेने का है।

अधीक्षण अभियंता रमाशंकर ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में लाया गया है। निर्माण खंड-दो के अधिशासी अभियंता गिरजेश कुमार को सच्चाई जानने के लिए निर्देश दिया गया है। सूत्रों की मानें तो संजय सिंह ने विभागीय चौकीदार रामअवध की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र बनकर नौकरी कई वर्ष पहले ले ली। गोंडा से स्थानांतरित होकर यहां के निर्माण खंड दो में वह दो वर्ष पहले आया था। सूत्रों के अनुसार दत्तक पुत्र बनकर नौकरी हासिल करने की जांच रिपोर्ट यहां आने से मामले ने तूल पकड़ लिया। उस दौरान रावत अधिशासी अभियंता रहे। विभागीय कार्रवाई तेज हुई तो वह अचानक गुम हो गया।

विकासनगर थाना में दर्ज अपहरण की विवेचना के दौरान 20 अक्टूबर को लखनऊ में मिले एक शव की शिनाख्त पत्नी सुषमा ने पति संजय ¨सह के रूप में कर दी। सड़क दुर्घटना का अज्ञात युवक शिकार हुआ था। उसी के बाद पत्नी ने पति का मृत प्रमाणपत्र देकर अधीक्षण अभियंता से मृतक आश्रित में दो महीने बाद नौकरी का आदेश करा लिया। 26 दिसंबर 2016 को पति के स्थान पर कनिष्ठ सहायक के पद पर निर्माण खंड दो में नौकरी ज्वाइन कर ली। पति के जीवित मिलने के बाद कार्रवाई का फंदा उस पर भी कसना तय माना जा रहा है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार विकासनगर-लखनऊ की पुलिस ने संजय ¨सह को जानकीपुरम से गिरफ्तार कर लिया है। शायद इसका पता भी न लगता अगर प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता एसके रावत को लखनऊ पुलिस संजय सिंह की शिनाख्त के लिए न बुलाती। संजय के अपहरण का मुकदमा कई महीने पहले थाना विकासनगर में पत्नी सुषमा ने दर्ज करा रखा है। बताया गया कि अधिशासी अभियंता केस में आरोपी हैं। रावत ने बताया कि उन्होंने विकास नगर पुलिस की गिरफ्त में आए संजय सिंह की पहचान की है।

 

 

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