हालांकि कुछ लोगों ने उसको वहाँ से हटाने के लिए पत्थर और डंडों मारे जिसके कारण वह कुछ समय के लिए वहाँ से दूर चला जाता, और अनुकूल परिस्तिथियाँ मिलते ही वह फिर से चक्कर लगाने लगता है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार- “वह सुबह मंदिर खुलने के साथ ही वहाँ आ जाता है और परिक्रमा शुरू कर देता है, एक चक्कर पूरा होने पर वह दक्षिणी- पूर्वी छोर पर अपने सिर को नीचे टेकता है और फिर यह क्रम 5-6 घंटे तक चलता है”, अधिक भीड़ होने पर वह समय में बदलाव कर शाम के समय अपने नियम को पूरा करता है।

1 2 3 4
No more articles