दरअसल यह कुत्ता 4 बजे मंदिर की परिक्रमा लगाना शुरू करता है और सुबह के 10 बजे तक यह सिलसिला लगातार चलता है। शुरुआत में लोगों को लगा कि यह साधारण कुत्ता है जो मंदिर में आने वाले भक्तों के पीछे कुछ खाने की चाहत में चक्कर लगाता रहता है। जब दिन-प्रतिदिन यह सिलसिला चलता रहा तब स्थानीय लोगों का ध्यान इस तरफ गया तो पाया कि यह प्राणी नियम पूर्वक बिना थमे तकरीबन 6 घंटे तक लगातार मंदिर के चक्कर लगाता है जो साधारण नहीं है।