अक्सर कहा जाता हैं की बड़ों के पैर छूना, उनके प्रति इज्जत दिखाने का एक जरिया माना जाता है। बच्चों को भी बड़ों के और शिक्षकों के पैर छूने की शिक्षा दी जाती है और इससे ना सिर्फ उन्हे आशीर्वाद मिलता है बल्कि इससे बच्चे के अंदर अच्छे गुणों का संचार भी होता हैं। लेकिन एक स्कूल है,जो इसका बिलकुल उल्टा कर रहा है इस स्कूल में हर सुबह शिक्षक बच्चों के पैर छूते हैं।

मुंबई में स्थित Rushikul Gurukul Vidyala नाम के इस स्कूल ने इस मान्यता के आधार पर ये परंपरा चलाई है कि इंसान में ही भगवान बसता है। बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है, इसलिए उनके पैर छूना, भगवान के पैर छूने के समान है। गुरुकुल में ये सोच कर ये प्रथा शुरू की गयी थी कि इससे बच्चों में शिक्षक के प्रति आदर बढेगा। इससे उन्हें सबका आदर करने की सीख भी मिलेगी। घाटकोपर स्थित इस स्कूल को महाराष्ट्र स्टेट सेकेंडरी स्कूल बोर्ड से मान्यता प्राप्त है।

ये बहुत बड़ा स्कूल नहीं है और एक किराये पर ली गयी बिल्डिंग में इसे चलाया जा रहा है। यूं तो ये एक सामान्य स्कूल है, लेकिन यहां जो संस्कार बच्चों को दिए जाते हैं, वो इसे खास बनाते हैं। इस स्कूल में टीचिंग के नए-नए तरीके आजमा कर बच्चों को पढ़ाया जाता है और जिस तरह यहां के टिचर्स बच्चों के पैर छूकर उन्हे ये समझाते रहे है कि हर इंसान के अंदर भगवान बसते हैं तो हमें हर किसी का सम्मान करना चाहिए।

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