भावनात्मक परेशानी के कारण बिस्तर गीला करता है बच्चा। बच्चो का नींद में बिस्तर गीला होना हर मां के लिए परेशानी की बात है। बाल मनोविज्ञान के अनुसार शुरू के पांच सालों में यह तय हो जाता है कि बच्चा आगे चलकर मानसिक रूप से कितना स्वस्थ व्यक्ति बनेगा। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चे अपने मानसिक स्तर के आधार पर सोचते हैं, अनुभव तथा व्यवहार करते हैं। बच्चों की सोच उनका अनुभव तथा व्यवहार कैसा होगा यह उनकी उम्र, बुद्धि और सामाजिक माहौल पर निर्भर करता है।

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बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करना एक बहुत ही आम समस्या है। प्रायः बच्चा तीन वर्ष की आयु तक अपने मूत्राशय पर काबू पा लेता है। अतः यदि तीन वर्ष से अधिक आयु का बच्चा बिस्तर गीला करता है तो ही इसे असामान्य मानना चाहिए। बिस्तर गीला करने के दो कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि शुरू-शुरू में बच्चा पेशाब करने में काबू नहीं रख पाता और दूसरा यह कि मूत्राशय पर नियंत्रण होने के बावजूद किसी भावनात्मक परेशानी के कारण बिस्तर गीला करना। कुछ बच्चों में नाड़ी तंत्र में खराबी होने के कारण वे मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं रख पाते।

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कुछ बच्चे किसी मनोवैज्ञानिक बीमारी से पीड़ित होने के कारण मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसा पांच से आठ वर्ष की आयु में बीच होता है। बच्चों की विभिन्न व्यवहारिक परेशानियां यह जरूरी नहीं कि असाधारण ही हों। कभी-कभी साधारण बच्चे भी बिस्तर गीला कर सकते हैं, स्कूल जाने से कतराते हैं तथा अत्यधिक सक्रिय हो सकते हैं। परन्तु बच्चों में इस प्रकार का व्यवहार बहुत दृढ़ता से होने लगे और बार-बार होने लगे तो समझना चाहिए कि बच्चे की मानसिक व्याधि से निपटने का सबसे सरल उपाय है तुरन्त किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लेना। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अभिभावक प्रायः बच्चों को सजा देते या उनका दूसरे बच्चों के सामने मजाक बनाते हैं। आधुनिक मनोचिकित्सा में इस बीमारी पर काबू पाने का कारगर उपाय है। मनोचिकित्सक बच्चे की मानसिक समस्या को समझकर उसका निदान कर सकता है।

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