निक्सन के इस निष्कर्ष से कई अरब विशेषज्ञ सहमत नहीं हैं। वे इस बात को नहीं मानते कि अगर इराक पर क्रूर और निर्दयी शासक का राज नहीं हो, तो वहां आतंकवाद के पैदा होने की मुफीद जगह होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तर्क निरंकुश सत्ता अपने पक्ष में इस्तेमाल करती है।मालूम हो कि सद्दाम ने 23 साल तक इराक पर शासन किया था। कहा जाता है कि उनके शासनकाल के दौरान हजारों की संख्या में कुर्द, शिया और बाकी समुदायों के लोगों की हत्या की गई। 2004 में इराक के स्पेशल ट्राइब्यूनल ने सद्दाम को मानवता का दोषी बताकर मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि कई मानवाधिकार संगठनों का आरोप था कि सद्दाम को अपना बचाव करने का मौका नहीं दिया गया और उनके खिलाफ चली कानूनी प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी।