निक्सन तब भले ही सद्दाम की बात से सहमत नहीं थे, लेकिन अब उन्हें लगता है कि सद्दाम सही कह रहे थे। निक्सन को यह भी लगता है कि ‘इराक जैसे अलग-अलग समुदायों से भरे देश को सही तरह से चलाने के लिए’ और सुन्नी कट्टरपंथियों व शिया-बहुल ईरान को नियंत्रण में रखने के लिए सद्दाम जैसे क्रूर शासक की ही जरूरत थी।
निक्सन ने अपनी किताब में लिखा है, ‘सद्दाम के नेतृत्व का तरीका और क्रूरता उनके शासन के सबसे बड़े दोषों में से थे, लेकिन जब उन्हें लगता कि उनकी सत्ता को खतरा है, तो वह बेहद शातिर भी हो सकते थे। निश्चय तौर पर बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि सद्दाम के शासन को जनता आंदोलन से उखाड़ फेंकती।’ निक्सन ने लिखा है, ‘सद्दाम के शासन में ISIS जैसे किसी आतंकवादी संगठन का उभरना और सफल हो पाना बिल्कुल असंभव था।’