अगर किसी काम को करने के लिए जज्बा और जुनून सवार हो तो हर एक काम मूमकिम होता है जिसे इस नागपुर के रहने वाले श्रीकांत पंतवणे ने साबित कर दिया है। एक वक्त था जब वह डिलिवरी ब्वॉय के तौर पर काम करते थे और अब वे प्लेन उड़ाते हैं और आज वे लाखों लोगों की प्रेरणा बन चुके हैं।
तो आइए जानते है कैसे बदली श्रीकांत पंतवणे की जिंदगी ?
पिता सिक्युरिटी गार्ड के तौर पर काम करते थे, इसलिए घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था पहले श्रीकांत घर की हालत सुधारना चाहते थे और पढ़ाई भी करने की इच्छा थी। एक बार वह ऑटो से किसी सामान की डिलिवरी करने नागपुर एयरपोर्ट गए थे। वहीं उनकी पायलटों पर नजर पड़ी। एयरपोर्ट के बाहर चाय की दुकान पर खड़े लोगों से पूछ लिया पायलट कैसे बनते हैं और फिर ठान लिया था कि पायलट ही बनना है। उन्हीं लोगों में से किसी ने बताया था कि 12वीं की पढ़ाई के बाद ही पायलट की ट्रेनिंग के लिए सरकार से स्कॉलरशिप मिल जाती है।

2011 में स्कॉलरशिप मिल गई। उसी के दम पर सागर में एविएशन अकादमी में दाखिला भी मिल गया। लेकिन यहां नया संघर्ष। एक तो अंग्रेजी सीखना जरूरी था। दूसरा किताबें खरीदना तो दूर उनकी फोटो कॉपी कराने के भी पैसे नहीं थे। इसलिए, लाइब्रेरी की मदद ली। हर रात दो बजे तक वहीं बैठकर अंग्रेजी सीखते। असेसमेंट की तैयारी करते। नतीजा, हर असेसमेंट में सबसे ऊपर नाम होता। दो साल में कोर्स पूरा हो गया पर नौकरी नहीं मिली। एक और स्कॉलरशिप की मदद से 2013 के आखिर में हैदराबाद के सेंट्रल ट्रेनिंग एस्टैब्लिशमेंट में दाखिला लिया। वहीं से सपनों को हकीकत के पंख लगे।

श्रीकांत के फ्रेंड्स ने बताया , वह कहा करता था, की ‘तीन पहिए मेरी जिंदगी हैं। इन्हीं से दुनिया देखनी है।’ और वाकई, उसने अपने सपने को सच कर दिखाया। महज चार साल पहले वह नागपुर की सड़कों पर ऑटो चलाता था। आज एक बड़ी एयरलाइन्स कंपनी का विमान उड़ाता है।

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