हमारे देश में ना जाने कितनी ऐसी दक़ियानूसी मान्यताएँ और परम्पराएँ हैं जिंका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है फिर भी लोग पूरी श्रद्धा से इन परम्पराओं को मानते आ रहे हैं। समय के साथ साथ ये सभी बद से बदतर बनती जा रही हैं। ऐसी ही एक परंपरा है बैतूल शहर  की जहां दीपावली के अगले दिन सारे ग्वाले मिलकर एक गोबर से एक गोवर्धन पर्वत बनाते हैं, जिसे फूलों से सजाया जाता है और फिर पूजा पाठ के दौरान ही बच्चों को गोबर के इस ढेर में लिटाया जाता है।

ऐसा करने की पीछे ऐसी मान्यता है कि गोबर में लिटाने से उनके बच्चे निरोगी रहते हैं, लेकिन इस परंपरा को लेकर डॉक्टरों की राय अलग है। डॉक्टरों का मानना है कि गोबर में सक्रबटायफस जैसे खतरनाक बैक्टीरिया होते हैं जिससे फैला इन्फेक्शन जानलेवा भी साबित हो सकता है। इन तत्थों के बावजूद बैतूल में जिला मलेरिया कार्यालय के परिसर में ये आयोजन हुआ।

कैलाश यादव ने बताया कि ऐसा नहीं है कि इस समुदाय में लोग अशिक्षित हैं। इनमें से कई लोग पढ़े लिखे और नौरीपेशा हैं लेकिन फिर भी ये परंपरा के सामने अंधविश्वास को तरजीह देते हैं। इनके मुताबिक गोबर में लिटाने से कभी भी किसी बच्चे को नुकसान नहीं हुआ और जो डॉक्टर कहते हैं वैसा कुछ देखने में नहीं आया।

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