सैकड़ो साल पुराने लैला-मजनूं की गाथा आज भी है अमर

सैकड़ो साल पुराने लैला-मजनूं की गाथा आज भी है अमर
सैकड़ो साल पुराने लैला-मजनूं की गाथा आज भी है अमर। लैला – मजनूं एक ऐसा प्रेमी जोड़ा जो आज भी प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है सैकड़ों साल पुरानी यह प्रेम गाथा आज भी अमर है । श्रीगंगानर ज़िले में ‘लैला-मजनूं’ की एक मजार बनी है। अनूपगढ़ तहसील के गांव बिंजौर में बनी इस मजार पर आज के ज़माने के लैला-मजनूं अपने प्यार की मन्नतें मांगने आते हैं। लोगों का मानना हैं कि लैला-मजनूं सिंध प्रांत के रहने वाले थे। उनकी मौत यहीं हुई थी यह तो सब मानते हैं, लेकिन मौत कैसे हुई इस बारे में कई मत हैं । बताया जाता है कि दोनों ने अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हें पाकिस्तान बॉर्डर से महज 2 किलोमीटर दूर राजस्थान की ज़मीन पर ही गुजारे थे ।
कुछ लोगों का मानना है कि लैला के भाई को जब दोनों के इश्क का पता चला तो उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने क्रूर तरीके से मजनूं की हत्या कर दी। लैला को यह पता चला तो वह मजनूं के शव के पास पहुंची और उसने खुदकुशी कर ली। हालांकि कुछ लोग अपना दूसरा मत रखते हैं, इनका कहना है कि घर से भाग कर दर-दर भटकने के बाद ये दोनो यहां तक पहुंचे और प्यास से दोनों की मौत हो गई। लैला-मजनूं के इस मजार पर हर साल 15 जून को दो दिन का मेला लगता है ।
आगे पढ़िए-
1 2
No more articles