सैकड़ो साल पुराने लैला-मजनूं की गाथा आज भी है अमर

जिसमें हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के प्रेमी और नवविवाहित जोड़े आते हैं और अपने सफल विवाहित जीवन की कामना करते हैं । खास बात यह है कि इस मेले में सिर्फ़ हिंदू या मुस्लिम ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में सिख और ईसाई भी शरीक होते हैं । यह पवित्र मजार प्रेम के सबसे बड़े धर्म की एक मिसाल है ।दुनिया में अतीत के इन महान प्रेमियों को भारतीय सेना ने भी पूरा सम्मान दिया है । भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक पोस्ट को बीएसएफ की ‘मजनूं पोस्ट’ नाम दिया है । कारगिल युद्ध से पहले मजार पर आने के लिए पाकिस्तान से खुला रास्ता था, लेकिन इसके बाद आतंकी घुसपैठ के चलते इसे बंद कर दिया गया ।
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