यहां बीमा कंपनी की ओर कहा गया कि देबाशीष की मौत किसी दुर्घटना नहीं बल्कि मछर काटने से हुई है। लेकिन अदालत ने मौसमी के पक्ष में निर्णय सुनाया। बीमा कंपनी फिर पश्चिम बंगाल उपभोक्ता आयोग पहुंची, लेकिन यहां भी उसकी अपील खारिज कर दी गई। अंत में यह मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंचा।

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