अंतरिक्ष से दिखा इलाहाबाद महाकुंभ का नज़ारा, वैज्ञानिक भी हैरान , यूं तो भारत के कुंभ मेले दुनिया में श्रद्धालुओं के सबसे बड़े जमावड़े के रूप में जाने जाते हैं। किंतु यदि इन महान मेलों में जुटने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इतनी बढ़ जाए कि ये अंतरिक्ष से दिखाई देने लगे तो यह सुखद आश्चर्य ही कहा जाएगा। दरअसल, वर्ष 2001 में ऐसा हो चुका है। उस साल उत्तर प्रदेश के प्रयाग (इलाहाबाद) में कुंभ मेला आयोजित हुआ था और तब धरती से करीब 680 किलोमीटर ऊपर कक्षा में स्थापित उपग्रह ‘इकोनोस” ने कुंभ में उमड़ी भीड़ के फोटो रिकॉर्ड किए थे।
इतनी ऊंचाई से तस्वीरें लिए जाने के बावजूद धरती पर इंसानी जमावड़ा अंतरिक्ष से दिखाई दे रहा था। सामान्यत: इतनी ऊंचाई से उपग्रहों में विशालकाय पर्वत, बड़ी नदियां और धरती पर बने बहुत बड़े स्ट्रक्चर ही रिकॉर्ड होते हैं। बाद में मेले की प्रशासनिक व्यवस्थाएं संभालने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने मेले में आए श्रद्धालुओं का आंकड़ा ‘साढ़े सात करोड़” बताया था।
किस्सा भारत के उस महान मेले का है जो सदियों से सनातन धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा बना हुआ है। यूं तो देश में चार जगह हरिद्वार, प्रयाग (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में कुंभ मेले आयोजित होते हैं किंतु श्रद्धालुओं की संख्या की अधिकता के हिसाब से प्रयाग का कुंभ सबसे बड़ा होता है। गंगा व यमुना के संगम स्थल पर बसे इस धार्मिक नगर में 2001 में कुंभ मेला लगा था। उस साल मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान (शाही स्नान) था। ब्रह्ममुहूर्त से ही मां गंगा और यमुना में पहले अखाड़ों के साधु-संतों और फिर श्रद्धालुओं की डुबकियां लगना शुरू हो गई थीं। सुबह के करीब 10 बजते-बजते तो भीड़ इतनी बढ़ गई कि गंगा-यमुना के घाट कई-कई किलोमीटर तक आस्था में डूबे श्रद्धालुओं से पट गए। ठीक उसी समय अंतरिक्ष में भी हलचलें चल रही थीं।
करीब 10 बजकर 30 मिनट पर ‘इकोनोस” नामक उपग्रह अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए धरती के उस हिस्से के ऊपर से गुजरा, जहां भारत स्थित है। ‘इकोनोस” अपने रोजमर्रा के काम के तहत धरती की तस्वीरें रिकॉर्ड कर अपने मुख्य सर्वर को भेज रहा था। तभी ‘इकोनोस” ने उत्तरी भारत में एक ऐसा नजारा रिकॉर्ड किया, जो दुर्लभ था। दरअसल, उसकी खींची गई तस्वीर में गंगा-यमुना के संगम के किनारे पर असामान्य भीड़ दिखाई दे रही थी। उपग्रह ये तस्वीरें 403 मील (करीब 680 किलोमीटर) की ऊंचाई से ले रहा था। ऐसे में यह आश्चर्य की बात थी कि