पुरुषों की तुलना में महिलाएं को अधिक होती हैं सफेद दाग की समस्या। सफेद दाग त्वचा की एक ऐसी बीमारी है, जिसे ल्यूकोडर्मा के नाम से जाना जाता है। इस विकार की स्थिति में त्वचा पर सफेद धब्बे हो जाते हैं। इसके सटीक कारण का पता नहीं चल सका है, परंतु कुछ लोग इसे विभिन्न धार्मिक मान्यताओं से जोड़ कर देखते हैं।

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विशेषज्ञों का कहना है कि सफेद दाग एक विश्वव्यापी समस्या है और पूरी दुनिया की आबादी में यह 1 से 2 प्रतिशत लोगों को है। भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों में सफेद दाग के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किये गए हैं। सफेद दाग के कई मरीजों ने आत्महत्या तक कर ली है तो कई लोगों ने खुद को घर की चारदीवारी में कैद कर लिया है। सफेद दाग के 75 प्रतिशत मरीज विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याओं से ग्रसित पाए गए। भारत में सफेद दाग से ग्रसित 90 प्रतिशत लोग सामाजिक अलगाव का सामना करते हैं।

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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सफेद दाग को भारत की तीन प्रमुख चिकित्सीय समस्याओं में स्थान दिया था। अन्य दो समस्याएं कुष्ठ व मलेरिया थीं। लड़कियों को ज्यादा सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है तथा वैवाहिक समस्याएं उनकी पीड़ा को और बढ़ा देती हैं। अविवाहित युवतियों में इस पीड़ा की गंभीरता को समझा जा सकता है। सफेद दाग से ग्रसित युवतियों की शादी की संभावना बहुत कम होती है । विवाह के बाद सफेद दाग होने पर भी समस्या कम नहीं होती और इसके परिणामस्वरूप तलाक तक हो सकता है।

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