राजा ने उस कन्या का विवाह विष्णु जी से कर दिया। यमराज ने उसे आयुषमती कह कर पुकारा और आयुषमती का वरदान दिया तब से विवाह में पत्र पर कन्या के नाम के आगे आयुषमती लिखा जाने लगा।

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