आयुष्मती के पीछे यह है मान्यता

पौराणिक काथ के अनुसार राजा आकाश धर के कोई सन्तान नही थी। नारद जी ने कहा: सोने के हल से धरती का दोहन करके उस भूमि पर यज्ञ करो सन्तान जरूर प्राप्त होगी। राजा ने सोने के हल से पृथ्वी जोती, जोतते समय उन्हें भूमि से कन्या प्राप्त हुई । कन्या को महल लेकर आये, लेकिन महल में एक शेर खडा था, जो कन्या को खाना चाहता था, डर के कारण राजा के हाथ से कन्या छूट गई शेर ने कन्या को मुख में धर लिया, कन्या को मुख में धरते ही शेर कमल पुष्प में परिवर्तित हो गया, उसी समय विष्णु जी प्रगटे और कमल को अपने हाथ से स्पर्श किया। स्पर्श करते ही कमल पुष्प उसी समय यमराज बनकर प्रगट हुआ ,और वो कन्या पच्चीस वर्ष की युवती हो गई।

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