इस घटना के कुछ दिन बाद ब्राह्मणी ने पुत्र को जन्म दिया लालन- पालन किया धीरे-धीरे पांच वर्ष बीत गये। ब्राह्मण ने अपने पुत्र को विद्या ग्रहण करने के लिए काशी भेज दिया। लेकिन महामाया के कथन को याद कर दिन-रात दोनों पुत्र के वियोग में दुखी रहने लगे। धीरे-धीरे समय बीता पुत्र के मृत्यु का समय निकट आया। काशी के एक सेठ ने अपनी पुत्री के साथ उस ब्राह्मण पुत्र का विवाह कर दिया। पति-पत्नी के मिलन की रात उसकी मृत्यु की रात थी।

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