देवों ने माता से अनुरोध किया और कहा -हे माता हम लोंगो ने यमराज को छुडाने की बहुत कोशिश की, लेकिन छुडा नही पाये -हे! जगदम्बा अब तूही यमराज को छुडा सकती है। माता जगदम्बा प्रगटी और बोली: -हे! बेटी जिस नाग को तूने कमंडल में बंद किया है वह स्वयं यमराज हैं उनके बिना यम लोक के सारे कार्य रुक गये हैं।  हे! पुत्री यमराज को आजाद करदे । माता के आदेश का पालन करते हुए दुल्हन ने कमंडल से यमराज को आजाद कर दिया। यमराज कमंडल से बाहर आये और माता को तथा दुल्हन के सतीत्व को प्रणाम किया। माता की आज्ञा से यमराज ने उसके पती के प्राण वापस कर दिये। तथा चिरंजीवी रहने का वरदान दिया,

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