हम सभी ने सुना है ऋषि-मुनियों कि लंबी आयु होती है। साथ ही वह लंबे समय तक जावान भी रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते है उनके लंबे समय तक जवान रहने के पीछे क्या राज है। चलिए आज हम आपको बताते है कि ऋषि-मुनि ऐसा क्या चमत्कारी तरीका अपनाते है कि वह लंबे समय तक जवान व निरोगी रहते हैं।

चक्र जागरण के लिए योग सबसे आसान माध्यम है। कुंडलिनी के सात चक्रों में से पांचवां चक्र यानी विशुद्धि चक्र शुद्धिकरण का केंद्र है। इसका संबंध जीवन चेतना के शुद्धिकरण व संतुलन से है। योगियों ने इसे अमृत और विष के केंद्र के रूप में भी परिभाषित किया है। विशुद्धि चक्र की साधना से एक ऐसी स्थिति प्रकट होती है, जिससे जीवन में अनेकों विशिष्ट आध्यात्मिक अनुभूतियां आती हैं। इससे साधक के ज्ञान में वृद्धि होती है। जीवन कष्टप्रद न रहकर आनंद से भरपूर हो जाता है।

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