कहां होता है ये चक्र
यह चक्र ग्रेव जालिका में गले के ठीक पीछे होता है। इसका क्षेत्र गले के सामने या थॉयराइड ग्रंथि पर है। शारीरिक स्तर पर विशुद्धि का संबंध ग्रसनी व स्वर यंत्र तंत्रिका जालकों से है। योगशास्त्रों में इसे प्रतीकात्मक रूप से गहरे भूरे रंग के कमल की तरह बताया गया है। मगर कुछ साधकों ने इसका अनुभव 16 पंखुड़ियों वाले बैंगनी रंग के कमल की तरह किया है। ये 16 पंखुड़ियां इस केंद्र से जुड़ी नाड़ियों से संबंधित हैं। हर पंखुड़ी पर संस्कृत का एक अक्षर चमकदार सिंदूरी रंग से लिखा है- अं, आं, इं, इ, उं, ऊं, ऋं, ऋं, लृं, लृं, एं, ऐं, ओं, औं, अं, अः। यह आकाश तत्त्व का प्रतीक है। विशुद्धि चक्र के उस साधक के लिए जिसकी इन्द्रियां निर्दोष व नियंत्रित है।