ऐसा कहा जाता है की जब आप का कोई इस दुनिया को छोड़ देता है तो उसका अंतिम संस्कार भी कर देना चाहिए नहीं तो उसकी रूह को शांति नहीं मिलती लेकिन सोचिए एक शख्स ऐसा भी है जो अपनी पत्नी के साथ सोना चाहता था इसलिए उसने उसका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया।

जी हां ‘रसेल डेविसन’ नाम के इस आदमी ने अपनी 50 वर्षीय पत्‍नी ‘वेंडी डेविसन’ बीते महीने 21 अप्रैल को इस दुनिया को अलविदा कह गईं। वेंडी डेविसन पिछले 10 सालों सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही थीं। पत्‍नी की मौत से रसेल डेविसन बेहद दुखी हुए। इस दौरान उन्‍होंने पत्‍नी के शव को दफनाने की प्रक्रिया निभाने से इनकार कर दिया। उन्‍होंने उसके शव को सबसे पहले अपने बेडरूम में रखा।

सका लंबे समय तक नेचुरल ट्रीटमेंट भी किया था। वह पत्‍नी के साथ मरने से पहले घूमने भी गए थे। हालांकि रॉयल डर्बी हॉस्‍पिटल में उपचार के लिए भर्ती रहीं ‘वेंडी’ ने घर पर ही मरने का निश्‍चय किया था। इसीलिए वेंडी ने अपने घर पर ही अंतिम सांस ली।

श्‍ाव के साथ छह दिन तक सोने को लेकर उनका कहना है कि ‘वो मौत को लेकर लोगों के रवैये को चुनौती देने के लिए ही एक कमरे में पत्नी के शव के साथ इतने दिन तक रहे। ‘रसेल डेविसन’ का कहना है कि इस दौरान उन्‍हें उसके बगल में बहुत सुकून मिला। उनके अपने रिश्‍तेदार भी जब कमरे में आते तो पहले तो शव को देखकर भावुक होते लेकिन कुछ पलों बाद उन्‍हें भी अहसास होता था कि यह पल भी बेहद खूबसूरत होता है’।

रसेल डेविसन का कहना है कि “मौत उनके समाज में एक प्रतिबंधित विषय हो गया है। जबकि यह अटल सत्‍य है जिसे सबको एक न दिन रूबरू होना लेकिन उसके बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहता है। इसीलिए उन्‍होंने इस अहसास को करीब से देखने का निश्‍चय किया था और पत्‍नी के श्‍ाव को किसी फ्यूनरल डायरेक्टर को सौंपने से इंकार कर दिया था”।

लोग इस मौके पर रोते और बिलखते हैं, लेकिन उन्‍हें बेहद सुकून मिला। शायद यही वजह थी कि वह वह पत्‍नी के श्‍ाव को डॉक्‍टरों के हाथ में नहीं सौंपना चाहते थे। यह भी नहीं चाहते थे कि वेंडी रसेल का शव शवदाह गृह ले जाया जाए। वह चाहते थ्‍ो कि वह उसकी इस पल भी अच्‍छे से देखभाल कर सकें। लेकिन उन्हे अपनी पत्नी से दूर होने का बेहद दुख है।

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