हॉट फीमेल बॉडीगार्ड के साथ खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं पुरुष , जैसे ही हम बॉडीगार्ड शब्द सुनते हैं तो तुरंत मन में एक हट्टे-कट्टे पहलवान मर्द की तस्वीर बन जाती है। लेकिन इन दिनों लोग मर्दों को नहीं बल्कि महिलाओं को बॉडीगार्ड के तौर पर रखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। दरअसल, जिन लोगों के हट्टे-कट्टे बॉडीगार्ड होते हैं उन लोगों पर जनता का ध्यान ज्यादा जाता है। इन बॉडीगार्ड को क्लोज प्रोटेक्शन, पर्सनल प्रोटेक्शन या एक्जीक्यूटिव प्रोटेक्शन ऑफिसर के नाम से जाना जाता है।

आर्मी ऑफिसर नील डेविस का मानना है कि महिला बॉडीगार्ड रखने से ज्यादा फायदा होता है। उन्होंने कहा, ‘अगर आपकी किसी से लड़ाई हो जाए और बचाने के लिए मर्द सामने आता है तो ऐसे में स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती है। लेकिन अगर महिला आपको बचाने आए तो सामने वाला उसकी बात जरूर सुनेगा और उसे मारेगा नहीं क्योंकि उसे पता है कि ऐसा करना गलत है।’ डेविस की मानें तो मर्दों की तुलना में एक महिला बॉडीगार्ड परिस्थिति संभालने में ज्यादा सक्षम होती है।

वहीं दूसरी ओर लोगों ने महिलाओं को बॉडीगार्ड से ज्यादा नैनी के रूप में देखा है। इसलिए वे उन्हें नैनी समझ लेते हैं। पर्सनल प्रोटेक्शन ऑफिसर (पीपीओ) लीजा बाल्डविन ने ‘द टाइम्स’ को बताया, जिन लोगों के साथ मैंने काम किया उनमें दस में से नौ लोग अलग तरह की सुरक्षा चाहते हैं।

वे मडोना, ब्रिटनी स्पीयर्स के जैसे बड़े और पहलवान बॉडीगार्ड नहीं चाहते। दरअसल, वे ये नहीं चाहते की बॉडीगार्ड की वजह से उन पर लोगों का ध्यान जाए। बाल्डविन को पीपीओ बने करीब 13 साल हो गए जिसके बाद इस फील्ड में महिलाओं की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है।

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