आपका पार्टनर करता हो अक्सर आपके सामने गंदी बात, तो समझिए है डिप्रेशन का शिकार , मानसिक तनाव आजकल की जिंदगी में आम सुनने को मिलता है। जैसे-जैसे लाइफ में सुख-सुविधाएं बढ़ रही हैं वैसे-वैसे ही परेशानियां भी इंसान को अपने घेरे में लेती जा रही हैं। रोजमर्रा की जुड़ी इस मुश्किलोें का सामना करते हुए जब इंसान थक जाता है तो उसके कदम मानसिक परेशानी की ओर बढ़ने शुरू हो जाते हैं। कई बार तनाव के इन धीमे कदमों की आहट पार्टनर को भी सुनाई नहीं पड़ती और इंसान इसका बुरी तरह से शिकार हो जाता है। मानसिक रोग से जूझ रहे व्यक्ति की इस हालत से कई बार परिवार वाले भी अंजान होते हैं।

नकारात्मक सोच

जिंदगी में आ रहीं परेशानियों का कारण जीवसाथी खुद को मान रहा है। बात-बात पर यह कह रहा हैं कि इन सबकी वजह मैं हूं तो इन बातों का हल्के में न लें। कई बार उम्मीद से कम मिलने पर इंसान के मन में यह बातें आ जाती हैं लेकिन अगर वह इनको ज्यादा ही गंभीरता से लेने लगे तो यह नाकारात्मक सोच जिंदगी जीने की इच्छा पर भी भारी पड़ती है।

नशे की लत

मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए कुछ लोग अचानक ही नशे की दलदल की तरफ बढ़ते जाते हैं। वह अपने या परिवार का अच्छा-बुरा सोचना बंद कर देते हैं। पार्टनर में आया यह बदलाव नजरअंदाज न करें। उनसे खुल कर बात करें। उनको समझाएं कि यह सेहत के लिए कितना हानिकारक है।

खाने की इच्छा न होना

वजन कम होना भी तनाव का एक कारण हो सकता है। अपने पसंदीदा खाने में भी अरूचि दिखाना,भूख का अहसास न होना,हमेशा थकावट महसूस करना तनाव का कारण है।

अनिद्रा

रात को बिना किसी वजह के जागते रहना,खुद के साथ बातें करना,रात-रात भर अकेले बैठ कर सोचते रहना। पार्टनर में अचानक आए इन बदलावों को समझने की कोशिश करें। देरी न करते हुए अच्छे मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

अकेले रहना

जो जीवनसाथी पहले पार्टी,फंक्शन और परिवार के साथ हर पल को हंसी-खुशी बिताता था,अगर वह अचानक बदल जाए। किसी से बात करने से कतराए,दोस्तों से दूरी बना लें,परिवार से कटे-कटे से रहें तो आप उनके इस निराशावादी व्यवहार को गंभीरता से लें। इस वक्त पार्टनर को आपकी बहुत जरूरत है। उनके साथ समय बिताएं अगर फिर भी व्यवहार में बदलाव न आए तो मानसिक रोग विशेषज्ञ की मदद लें।

ध्यान केद्रिंत न कर पाना

तनाव के शिकार व्यक्ति को चीजें याद रखने में परेशानी होती है। कई बार दिमाग पर जोर डालने पर भी उनकोे कुछ याद नहीं आता। बात करते-करते वह विषय से भटक जाते हैं और अपने-आप में ही खो जाते हैं। इस तरह के बदलाव को नजरअंदाज न करें।

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