मेजान के वर्षा वन क्षेत्र में इस जनजाति के लोग लगभग 200-250 गांवों में फैले हुए है। इनमें मानयता है कि कोई अगर प्राकृतिक रूप से मृत्यु को प्राप्त हो तो ये लोग उस व्यक्ति की राख से बना सूप पीते हैं। जरूरी नहीं कि मृत व्यक्ति उनका कोई रिश्तेदार या सगा संबंधी हो। इन लोगों विश्वास है कि यह जनजाति मृत्यु में विश्वास नहीं रखती। बल्कि इन लोगों का मानना है कि विरोधी जनजाति के किसी जादूगर ने उनकी प्रजाति के किसी व्यक्ति पर हमला करने के लिए बुरी आत्मा भेज दी है। जिसके उपाय के तौर पर ये लोग सोचते हैं कि उस व्यक्ति के शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया जाए।

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