बाल भी होते हैं कुंवारे, लगती है बोली

बाल भी होते हैं कुंवारे, लगती है बोली

बाल भी होते हैं कुंवारे, लगती है बोली। हमारे देश में कई प्रकार के मंदिर मौजूद है जिनमें लोग चढ़ावे भी अलग-अलग प्रकार से देते हैं। खासकर साउथ इंडिया में इसका चलन सबसे ज्यादा है। लेकिन क्या आप जानते हैं किस तरह इन बालों से विदेशियों को होता है करोड़ों का फायदा? आज हम आपको बताएंगे की कैसे मंदिरों से निकलकर विदेशी मार्केट तक पहुंचते हैं ये ‘वर्जिन’ बाल

लेकिन इससे पहले हम आपको बता दें कि इन्हें वर्जिन क्यों कहा जाता है। दरअसल यदागिरिगुट्टा मंदिर साउथ में है वहां भगवान विष्णु को चढ़ाए गए बाल जन्म के बाद से ना कभी काटे गए होते हैं और न ही इन्हें छेड़ा जाता है इसलिए इन्हें वर्जिन कहा जाता है। बता दें इस मंदिर में लड़कियां लाइन में लगकर अपने बाल मुंडवाने का इतंजार करती हैं। 18 से 20 साल तक बढ़ाए गए बालों को मंदिर में बैठे नाई बस कुछ मिनट् में सर से अलग कर देते हैं। लोगों का कहना है कि इस चढ़ावे से भगवान खुश होते हैं लेकिन असल बिजनेस तो इसके बाद शुरू होता है।

 

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