देश में चारों ओर मोदी के फैसले की सराहना की जा रही है। जहां नकली नोटों एवं ब्लैक मनी के सरगनों की नींदें उडी हुई हैं, वहीं दूसरी और देश में लूट और चोरी के मामलों में भी भारी गिरावट आई है। पिछले दो दिनों से पुलिस कंट्रोल रूम में लूटपाट की कॉल में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस बात की हामी खुद अलग-अलग जिले के डीसीपी भर रहे हैं। साथ ही, पुलिस अफसर चुटकी भी ले रहे हैं कि लुटेरे ऐसी अफरातफरी भरी हालत में शायद किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते। इसकी वजह यह भी है कि जितने बदमाशों ने दिल्ली-एनसीआर में लूटपाट या चोरी करके रकम इकट्ठा की होगी, वह उन्हें या तो डूबती नजर आ रही है या वे उसे ठिकाने लगाने के तिकड़म लगा रहे हैं।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार रात से गुरुवार शाम तक कैश लूटपाट की कॉल में अचानक गिरावट आई है। दिल्ली में  हर रोज औसतन 60 लोग किसी न किसी तरह लूटपाट और झपटमारी का शिकार हो जाते हैं। इनमें चेन स्नैचिंग को छोड़ दें तो ज्यादातर कैश लूटने या चोरी की वारदातें अधिक होती हैं। इनका ग्राफ दो दिन से गिरा है। वारदातों में ऐसे भी बदमाश शामिल हैं, जो एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से रोजाना यहां आकर लूटपाट करके भाग जाते हैं। मगर नोटों के बंद होने का असर इन घटनाओं पर साफ तौर पर देखा गया है।

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