मैटरिटी बेनिफिट एक्ट, 1961 के मुताबिक कोई भी नौकरीपेशा महिला गर्भवती होने पर 12 हफ्ते की छुट्टी ले सकती है और इस दौरान उसकी तनख्वाह नही काटी जा सकती है। लेकिन नोएडा की एक कंपनी ने अपनी महिला कर्मचारी को सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि वो गर्भवती थी और उसने मैटरनिटी लीव के लिए आवेदन किया था।
मामला नोएडा के सेक्टर 63 के एच ब्लॉक की कंपनी का है। पीड़ित महिला राधिका गुप्ता इस कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट में बतौर असिस्टेंट मैनेजर काम कर रही थी। कंपनी ने राधिका गुप्ता को कंपनी से निकालने से पहले कई बार फोन करके धमकाया और कहा कि कंपनी के खिलाफ जाने पर उसका करियर बर्बाद हो सकता है।
आपको बता दें कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961 पर अमेंडमेंट बिल लाकर मैटरनिटी लीव को 12 से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने की तैयारी कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इस तरह के वाकये सामने आ रहे हैं। राधिका गुप्ता को कंपनी की ओर से एक बार नहीं बल्कि कई बार कंपनी से फोन करके धमकाया जाता रहा। पहले तो राधिका पर कंपनी मैनेजमेंट दबाव बनाने की कोशिश की कि वो इस्तीफा दे दे और ऐसा ना करने पर उसे टर्मिनेट करने की धमकी दी गई। साथ ही ये भी समझाया गया कि अगर उसने इस्तीफा नहीं दिया तो टर्मिनेशन के बाद उसका करियर बर्बाद हो जाएगा और वो कहीं भी नौकरी करने के लायक नहीं रहेगी।
मैनेजमेंट की धमकियों से परेशान राधिका गुप्ता ने जब कंपनी के मालिक से बात की तो कंपनी के मालिक ने खुद को मामले से अंजान बताया। इतना ही नहीं राधिका ने कंपनी मालिक को जब मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के बारे में बताने की कोशिश की तो कंपनी मालिक ने कहा का वो उन्हें ये सब क्यों बता रही हैं। कंपनी मालिक ने खुद के व्यस्त होने का बहाना बनाते हुए कहा कि चार दिन बाद उसे फोन किया जाएगा वो परेशान ना हो। लेकिन बाद में कंपनी के मालिक ने राधिका को फोन करके कहा कि उसकी पर्फार्मेंस ठीक नहीं है।
कुछ दिन बाद कंपनी ने फिर फोन कर राधिका गुप्ता पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया और ऐसा ना करने पर नौकरी छीन लेने की धमकी दी।

इसके बाद महिला कर्मचारी ने एक बार फिर ईमेल पर मैटरनिटी लीव लेने की बात कही जिसके लगभग एक घंटे बाद ही कंपनी ने महिला को नौकरी से निकलने संबंधी ईमेल भेज दी।

क्या कहता है मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961?
फिलहाल महिला कर्मचारी 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव ले सकती है। डिलेवरी के 6 हफ्ते पहले और मां बनने के 6 हफ्ते बाद तक लीव पर जाने की मंजूरी रहती है। मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। मालिक को पहले तीन महीने का नोटिस देना होगा और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा। अगर वो ऐसा नहीं करता है तो कंपनी के खिलाफ शिकायत की जा सकती है। शिकायत के आधार पर कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है।

जाहिर है कि कानून राधिका गुप्ता के साथ है और अपने साथ हुई इस प्रताड़ना के बारे में राधिका गुप्ता ने पीएमओ और दूसरी संबंधित मंत्रालय को इस संबंध में पत्र भी लिखा है।

To,

The Honorable MoS(IC) for Labour and Employment

New Delhi

05/07/2016

Subject: Termination of my employment just because of my pregnancy.

Dear Sir,

Today, when the Women & Child Development Ministry, is planning to increase maternity leaves from 12 weeks to 26 weeks, there are companies who still have a paralyzed thinking towards women employees. I have heard lot of cases where women employees had to shut their voice against such companies and compromised in the end. However, this time I have decided to raise this issue till I get proper justice and to send a strong message so that other companies think 1000 times before sacking any female employee just to avoid paying maternity benefits.

I have been giving my services in Human Resource Department as an Assistant Manager to my employer (Radius Synergies International Pvt. Ltd, H-98, Sec – 63, Noida, 201301) from more than two years. Everything was going smooth until I declared that I would like apply for maternity leaves as per the Maternity Benefit Act, 1961. The day I declared the same, the management started forcing me to resign citing that the company can’t afford maternity leaves. All of a sudden, they have created so much stress and pressure so that I voluntarily resign from my position but I denied doing that by saying that I find no grounds to give my resignation.

I had also sent mails to the Managing Director, Mr. H S Singh, Radius Synergies International Pvt. Ltd, H-98, Sec – 63, Noida, 201301 stating the same that it is my right to apply for maternity leaves, and again given the reference of Maternity Benefit Act, 1961. I mentioned that I am lawfully eligible for maternity leaves and the company must allow me to take leaves. However, on mails he mentioned on mail that we are ready to discharge the obligations as a responsible organization.

More to my shock, yesterday I received a call from my office and they threatened me to resign and said that it will not be good for my career. They said that management has decided that you to have to resign otherwise they will terminate my services. After this conversation, I had attached all my medical papers and sent a mail asking for maternity leaves again. After almost an hour of my last mail they had terminated my employment via email and after that they have blocked my official email as well as my official phone number.

Sir,

Is it a crime for a working woman to be pregnant during her employment???

Is it right that the company can terminate the employment of a pregnant woman when she needs support from the company wherein she has served for more than 2 years?

My employer has given preference to termination rather than giving maternity leaves as suggested under Maternity Benefit Act, 1961. I think this is the heights of insensitivity towards women employees and I request you Sir to please look into this matter on priority basis. I hope the action in this case will act as a milestone for all other companies who follow such illegal practices and paralyzed approach towards women employees.

Being more than 7 months pregnant, the company did not even think once what medical complication this insensitive and inhuman action can get to me or to my expected baby. Your response in this case meant more to me, and others, than words can say.

I have attached all the emails with this mail. I also have call recordings with me and i am ready to share them as and when required.

Thanks,

Radhika Gupta

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