अदालत ने कहा कि बेटा व उसकी पत्नी यह साबित करने में नाकाम रहे हैं कि वह घर के सह-मालिक हैं। जबकि माता-पिता ने दस्तावेजी सबूतों के आधार पर घर पर मालिकाना हक साबित किया है। परिवार का कहना था की, उनके दोनों बेटों व बहुओं ने उनकी जिंदगी नरक बना दी है। पुलिस को शिकायत करने और 2007 व 2012 में अधिग्रहित की गई अपनी संपत्ति से दोनों बेटों को बेदखल करने के बाद भी वह उसके घर में रहते हैं। बेटों का दावा था कि वह घर के सह-मालिक हैं। उनका घर के निर्माण व खरीद में भी योगदान रहा है।

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