हम लोग अक्सर इस मसले पर चर्चा करते रहते हैं की औरतें क्या चाहती हैं? यही सवाल आम आदमी से लेकर, मनोवैज्ञानिकों तक को तंग करता रहा है।
पहले कहा जाता था कि महिलाओं की चाहत कभी पूरी नहीं की जा सकती वो सेक्स की भूखी हैं। लेकिन आज हम काफ़ी हद तक महिलाओं की सेक्स संबंधी ख़्वाहिशों को समझ सकते हैं।

तमाम नए रिसर्च से अब ये भी साफ़ हो चला है कि सेक्स के मामले में औरतों और पुरुषों की चाहतों और ज़रूरतों में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं होता है। जबकि पहले ऐसा माना जाता था कि पुरुषों को औरतों के मुक़ाबले सेक्स की ज़्यादा चाहत होती है।
अब तमाम रिसर्च से ये साफ़ हो चला है कि कुछ मामूली हेर-फेर के साथ औरतों और पुरुषों में सेक्स की ख़्वाहिशें एक जैसी होती हैं। ये अलग-अलग औरतों में अलग-अलग होती है।

वर्जिनिया यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक एनिटा क्लेटन कहती हैं कि सेक्स हमारी बुनियादी ज़िम्मेदारी, यानी बच्चे पैदा करने का एक ज़रिया है। वही औरतों के अंदर सेक्स की चाहत उनके मासिक धर्म के हिसाब से बढ़ती घटती रहती है।

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