स्थानीय निवासी पीयूष पटेल कहते हैं, ‘अगर मुझे कुछ भी खरीदना होता है, भले ही वह 10 रुपये का सामान क्यों न हो। मुझे अपने बैंक को अपने किराना दुकानदार के अकाउंट नंबर के साथ जानकारी भेजनी होती है। इसके बाद पैसा मेरे अकाउंट से कटकर किराना दुकानदार के अकाउंट में जमा हो जाता है।’

पीयूष पटेल खुद एक डेरी चलाते हैं और उनका कहना है कि उनके ग्राहक भी उन्हें इसी तरह से भुगतान करते हैं। किराना व्यापारी का कहना है कि नोटबंदी से उन्हें किसी तरह की कोई चिंता नहीं है। पंकिल पटेल मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘आजकल कैश की किल्लत हो रही है, लेकिन इस गांव में नहीं. एक एसएमएस के जरिए हमारे अकाउंट में पैसा आ जाता है और हम सामान बेच व खरीद पाते हैं।’

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