इस गांव में सिर्फ एक एटीएम है, लेकिन यहां कोई लंबी-चौड़ी लाइन नहीं दिखायी दे रही है। करीब एक साल पहले प्राइवेट बैंक ने इस गांव को गोद लिया और राज्य सरकार के साथ मिलकर इसे डिजिटल गांव बनाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था।

इस डिजिटाइजेशन से पहले रिटायर अध्यापक मोहनभाई को अपनी पेंशन के लिए नजदीकी जिला हेडक्वार्टर में जाना पड़ता था. दो बार तो उनकी जेब भी कट कई थी, लेकिन अब उन्हें जेब कटने की कोई चिंता नहीं है। उनका कहना है कि अब उनकी पेंशन अकाउंट में आ जाती है और ऑनलाइन ट्रांस्फर के जरिये काम चलता है।

आज के दिन 1500 की आबादी वाले इस गांव में 1200 लोगों के पास बैंक अकाउंट हैं। एक बैंक अधिकारी ने बताया, ‘हर खाताधारक को मनी ट्रांस्फर की सुविधा दी गई है। गांव पूरी तरह से वाईफाई से लैस है। लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए कि काफी लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, हमने उन्हें एसएमएस के जरिए पैसा ट्रांस्फर करने की सुविधा दी है।’

 

 

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