इस दुनिया में कुत्ता ही एक ऐसा जानवर है जिसे सबसे ज़्यादा वफादार समझा जाता है। लेकिन आपको बता दें कि कुत्ता सिर्फ वफादारी के लिए ही नहीं बल्कि भक्ति के लिए भी सबसे शालीन जानवर है। दरअसल बैंगलुरू के एक कस्बे पुत्तेनहल्ली में स्थित माता लक्ष्मी के मंदिर के समीप ऐसा ही कुछ होता है जहां एक कुत्ता निरंतर रूप से परिक्रमा करता है।
दरअसल यह कुत्ता 4 बजे मंदिर की परिक्रमा लगाना शुरू करता है और सुबह के 10 बजे तक यह सिलसिला लगातार चलता है। शुरुआत में लोगों को लगा कि यह साधारण कुत्ता है जो मंदिर में आने वाले भक्तों के पीछे कुछ खाने की चाहत में चक्कर लगाता रहता है। जब दिन-प्रतिदिन यह सिलसिला चलता रहा तब स्थानीय लोगों का ध्यान इस तरफ गया तो पाया कि यह प्राणी नियम पूर्वक बिना थमे तकरीबन 6 घंटे तक लगातार मंदिर के चक्कर लगाता है जो साधारण नहीं है।
हालांकि कुछ लोगों ने उसको वहाँ से हटाने के लिए पत्थर और डंडों मारे जिसके कारण वह कुछ समय के लिए वहाँ से दूर चला जाता, और अनुकूल परिस्तिथियाँ मिलते ही वह फिर से चक्कर लगाने लगता है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार- “वह सुबह मंदिर खुलने के साथ ही वहाँ आ जाता है और परिक्रमा शुरू कर देता है, एक चक्कर पूरा होने पर वह दक्षिणी- पूर्वी छोर पर अपने सिर को नीचे टेकता है और फिर यह क्रम 5-6 घंटे तक चलता है”, अधिक भीड़ होने पर वह समय में बदलाव कर शाम के समय अपने नियम को पूरा करता है।
पुत्तेनहल्ली के निवासियों के लिए यह कुत्ता आकर्षण का केंद्र बन गया है, मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु अवश्य ही इसका भी दीदार करते हैं। आस्था और भक्ति के प्रतीक इस प्राणी ने सिद्ध कर दिया है कि ईश्वर की रहमत जब बरसती है, तो संसार में मौजूद किसी भी प्राणी में श्रद्धा भाव स्वतः ही उत्पन्न हो जाते हैं