आइए जानते हैं कि नेत्रहीन होने के बावजूद श्रीकांत ने ये सब कैसे किया। श्रीकांत नेत्रहीन पैदा हुए थे और आज वो 80 करोड़ की कंपनी के CEO हैं। उनका जन्म 1993 में हैदराबाद में हुआ था। जब श्रीकांत पैदा हुए तो किसी को खुशी नहीं हुई क्योंकि वो नेत्रहीन थे। श्रीकांत बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे। नेत्रहीन होने के कारण उन्हें खेलने नहीं दिया जाता था, इतना ही नहीं क्लास मे उनसे कोई बच्चा बात भी नही करता था।

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श्रीकांत ने 10वीं के बाद साइंस पढ़ने की इजाजत मिली और 12वीं में वो बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए। इसके बाद उन्हें अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में दाखिला मिला। श्रीकांत ने भारत आकर हैदराबाद के पास 8 लोगों के साथ एक कमरे से छोटी सी कंपनी की शुरुआत की। उन्होंने लोगों के खाने-पीने के सामान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बनाई। शुरुआत में श्रीकांत ने अपने आस-पास के बेरोजगारों के साथ कंपनी की शुरुआत की। मेहनत रंग लाई और काम चल पड़ा।

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इसके बाद फंडिंग के लिए श्रीकांत को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। श्रीकांत ने प्राइवेट बैंकों से फंड जुटाकर काम को आगे बढ़ाया। श्रीकांत की कंपनी कंज्यूमर फूड पैकेजिंग, प्रिंटिंग इंक और ग्लू का बिजनेस कर रही है। आज कंपनी के हैदराबाद और तेलंगाना के पांच प्लांट हैं। इनमें सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं। छठवां प्लांट आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के पास श्रीसिटी में बन रहा है। अपनी कामयाबी के बारे में श्रीकांत का कहना है कि जब दुनिया कहती थी, यह कुछ नहीं कर सकता तो मैं कहता था कि मैं सब कुछ कर सकता हूँ।

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