विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान में स्वीट ने कहा, “जब हम विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी से संबंधित खिलौनों को यह कहते हुए लड़कों के लिए सीमित कर देते हैं कि ‘ये लड़कों के लिए हैं’ और जब हम सहानुभूति या वाक कौशल बढ़ाने वाले खिलौनों को यह कहते हुए लड़कियों के लिए सीमित कर देते हैं कि ये ‘लड़कियों के लिए हैं’ तो हम वास्तव में एक व्यक्ति के तौर पर बच्चों के विकास को सीमित कर देते हैं।
उन्होंने कहा, “यदि बच्चों को विभिन्न प्रकार के खिलौने नहीं मिलते हैं, तो उनका विकास सीमित हो जाता है और समय के साथ संभव है कि उनमें आगे चलकर वैसे कौशल विकसित न हों, जिनसे संबंधित खिलौने उन्होंने न खेले हों।
लेकिन इससे भी ज्यादा खतरनाक बात यह है कि बच्चों में इस तरह की रूढ़िगत धारणा पनप सकती है कि लड़के विज्ञान एवं गणित में अच्छे होते हैं, जबकि लड़कियां नहीं। यह महिलाओं और लड़कियों को इसे क्षेत्र से बाहर ले जाता है, क्योंकि वे सोचती हैं कि यह उनके लिए नहीं है।” स्वीट का मानना है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से संबंधित खिलौनों को गुलाबी रंग का बनाने से ही सिर्फ मदद नहीं मिलेगी।