एक जमाना था जब लोग घर में तैयार किए गए सत्तू का सुबह-सुबह सेवन करके दिनभर धूप का मुकाबला करने के लिए तैयार रहते थे। लेकिन आजकल के युवाओं को सत्तू पसंद नहीं आता, बल्कि पसंद आता है कोल्ड्रिंक और ठंडा शर्बत। लेकिन ज्यों-ज्यों युवाओं में फिटनेस को लेकर जागरूकता बढ़ रही है त्यों-त्यों सत्तू की पहचान भी बढ़ रही है। कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की गलियों में पिया जाने वाला सत्तू आज दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन और मुंबई के घाटकोपर सहित देश के कई बड़े-बड़े बाजारों की शान बनने लगा है। इसके पीछे सत्तू की सीरत ही कहिये कि ऑफिस जाने वालों से ले कर कॉलेज जाने वाले युवाओं के बीच भी यह काफी पॉपुलर हो रहा है। अगर आप आज तक ये सोचते थे कि सत्तू का इस्तेमाल सिर्फ शरबत बनाने के लिए होता है, तो आप अपनी जानकारी दुरस्त कर लीजिए। सत्तू प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के साथ ही धूप से बचाने है। सत्तू के शरबत के अलावा कई और ऐसे स्वादिष्ट डिशेज़ हैं, जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। हम आपको सत्तू के बारे में कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप भी इसके फैन हो जायेंगे।

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आयुर्वेद के अनुसार सत्तू का सेवन गले के रोग, उल्टी, आंखों के रोग, भूख, प्यास और कई अन्य रोगों में फायदेमंद होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि पाया जाता है। यह शरीर को ठंडक पहुंचाता है।

गर्मियों के दिनों में सत्तू शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करता है। इसका नियमित सेवन शरीर को लू की चपेट से बचाता है।

जौ और चने से बना सत्तू डाइबटीज़ के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है।

पेट की बिमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी सत्तू काफी लाभदायक है। इसमें मौजूद प्रोटीन लिवर को मजबूत करता है और खाना पचाने में सहायक होता है।

मोटापे से परेशान लोगों के लिए सत्तू से अच्छा इलाज हो ही नहीं सकता। जौ से बना सत्तू रोजाना खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और मोटापा घटाने में मदद मिलती है।

एक आम शरबत की तरह ही सत्तू के शरबत को कई तरह से बनाया जा सकता है। जिसमें प्याज, नींबू, मिर्च, जीरा पाउडर डाला जाता है। इसके अलावा सत्तू में थोड़ी-सी खट्टाई डाल कर खट्टा शरबत भी बनाया जाता है।

गेहूं और मक्के की रोटी की तरह ही सत्तू की रोटी और पराठें भी मार्केट में उपलब्ध हैं। जिनके चाहने वालों की तादाद भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
इसके अलावा बिहारी कॉलोनी में मिलने वाली लिट्टी, उसके तो कहने ही क्या! लिट्टी बनाने के लिए भी सत्तू का प्रयोग किया जाता है।

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