दंपत्तियों के बीच ई-पिल्स का ट्रेंड चल रहा है। इन ई-पिल्स ने कंडोम और बर्थ कंट्रोल गोलियों की जगह ले ली है। इसकी आसान उपलब्धता से यह लोकप्रिय तो हो गया है पर इससे फायदे के बजाय अधिक नुकसान होगा।

ई-पिल्स को अधिक मात्रा में लेने वाली महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब व वजाइनल ट्रैक्ट में इंफेक्शन होता है। भारत में महिलाएं इस बात की परवाह नहीं करतीं कि ई-पिल्स यौन संक्रमित बिमारियों से सुरक्षा प्रदान नहीं करता है। इन महिलाओं की सामान्य मान्यता होती है कि ये पिल्स भ्रूण को खत्म कर देते हैं, जो कि पूरी तरह गलत है।

एक शोध से पता चला कि 86 फीसद से अधिक दवा विक्रेता भी इस बात से अंजान हैं। करीब एक तिहाई फार्मेसी में अप्रशिक्षित स्टाफ हैं। फार्मेसिस्‍टों ने बताया कि लगातार असुरक्षित सेक्स पर यह दवा प्रभावी नहीं होती।

मौजूदा समय में अधिकांश दंपत्ति इमरजेंसी गर्भनिरोधक तरीकों को आसानी और सुविधाजनक पाते हैं और किसी हेल्थ केयर फैसिलिटी के बजाया फार्मेसिस्ट से ले लेते हैं।

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