कपड़े सिकुड़ने का दूसरा तरीका ऊनी कपड़ों पर लागू होता है। दरअसल ऊनी कपड़ों के धागे काफी सॉफ्ट होते हैं। इनके आपस में उलझने का डर रहता है। ये डर वास्तविक रूप में सामने आ जाता है तब जब ऊनी कपड़ों को वॉशिंग मशीन में डालते हैं। मशीन में पानी में बार-बार घूमन से उसके रेशे ऊपर-नीचे होकर आपस में उलझ जाते हैं। इस वजह से ये अपने बीच का स्पेस खो देते हैं और सिकुड़ जाते हैं।
तीसरी सिकुड़न मशीनी कारण से आती है। कपड़े पर जब मशीन चलने के कारण उसपर तनाव पड़ता है तो वो खुद ब खुद सिकुड़ जाते हैं।
अलग-अलग फाइबर्स पर श्रिंकेज का अलग असर पड़ता है। जैसे कॉटन का इस्तेमाल दो अलग-अलग तरह के कपड़ों को बनाने में किया जाता है। एक डेनिम और दूसरा गिंघम। इनमें से डेनिम के कपड़ों के तारों को काफी सख्ती के साथ बुना जाता है। ये इतनी सख्ती के साथ बुने जाते हैं कि इनके बीच सिकुडने की जगह ही नहीं होती। वहीं गिंघम फैब्रिक की बुनाई में उनके रेशों के बीच काफी जगह होती है। इनको सिकुड़ने के लिए पूरी-पूरी जगह मिल जाती है।