इसमें मंदिरों में शादी या फिर आपसी सहमति से नोटरी बनाई जाती है। इस विवाह के दौरान लड़की के परिवार से सिर्फ चार से छह लोग ही उपस्थित रहते हैं। शादी के बाद दुल्हन घर में रखी तिजोरियों की टोह लेती है। वे पति से भी दूरी बनाकर रखती है। फिर मौका देखकर गहने और नकदी लेकर भाग जाती है।
पुलिस जांच में यह तथ्य पाए गए कि गिरोह योजना अनुसार काम कर रहा है। वह घटना के बाद एक-दूसरे से संपर्क न कर अलग-अलग हो जाते हैं। तब तक वह एक-दूसरे से नहीं मिलते जब तक कि मामला ठंडा नहीं पड़ जाता। वे एक शहर में ज्यादा दिन तक नहीं रहते। नए शहर में नए नाम और पहचान के साथ नए शिकार की तलाश में जुट जाते हैं। इन बढ़ते मामलों को देखते हुए डीआईजी ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि प्राथमिक सूचना मिलने पर तत्काल एक्शन लें। जनसुनवाई और कैंप के माध्यम से लोगों को जागरूक करें। यदि शादी की जा रही है तो उनका पुलिस वेरिफिकेशन भी करवाए।