जब अप्सरा उर्वशी इंद्रलोक छोड़कर धरतीलोक पर आ गई थी तो इस बात का देवता इंद्र को बहुत बुरा लगा था। अप्सरा उर्वशी को वापस इंद्रलोक लाने के लिए इंद्र ने एक चाल रची जिसके तहत उन्होंने गंर्धवों को रात्रि के समय उर्वशी के महल के पास भेजकर, उर्वशी की प्रिय भेड़ों को उठावा लिया। जिसके बाद भेड़ों की आवाज सुनकर उर्वशी बाहर आई। भेड़ को ले जाते देखकर उर्वशी बहुत क्रोधित हुई उन्होंने पुरुरवा को आवाज दी। पंरतु पुरुरवा इतनी गहरी नींद में थे कि उन्हे आवाज नही सुनाई दी। तब उर्वशी ने क्रोधित होकर पुरुरवा को नपुंसक कहकर सम्बोधित किया। इस अपमान सूचक शब्द को सुनकर पुरुरवा को उर्वशी की शर्तें याद नहीं रही और वो वस्त्रहीन अवस्था में ही बाहर आ गए। इस अवस्था में पुरुरवा को देखकर उर्वशी ने अपनी शर्ते उन्हें स्मरण करवाई और इंद्रलोक की ओर प्रस्थान करने लगी।
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