यूं तो शास्त्रों में कई ऋषि-मुनि का बाख्यान किया गया है, लेकिन आज जिन ऋषि के बारे में हम आपको बताने जा रहे है उनके बारे में आपने सुना तो होगा, लेकिन एक वास्तविक सच नही जानते होंगे जो कि आज हम आपको बताएंगे। कहा जाता है पुरूरवा ऋषि स्वभाव के बेहद कोमल और कर्तव्य परायण थे। ब्रह्मांड के देवी-देवता भी उनकी प्रशंसा करते थे।

पुरूरवा ऋषि के व्यवहार से प्रभावित होकर देवराज इंद्र की अप्सरा उर्वशी ने पुरूरवा ऋषि से विवाह का मन बन लिया और एक दिन धरतीलोक पर आकर उर्वशी ने ऋषि पुरुरवा से सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। अप्सरा उर्वशी इतनी सुंदर थी कि उनकी सुंदरता पर पुरुरवा का दिल आ गया और उन्होने विवाह का प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया।

विवाह के प्रस्ताव के साथ ही अप्सरा उर्वशी ने पुरूरवा ऋषि के सामने दो शर्ते रखी थी। पहली शर्त यह कि उनकी भेड़ों की रक्षा करना और कोई उनकी भेड़ लेकर गया तो वो उसी समय पुरुरवा को छोड़कर चली जाएगी। दुसरी शर्त यह कि प्रणय सम्बध के अलावा अगर पुरुरवा कभी भी वस्त्रहीन दिखाई दिए तो वो हमेशा के लिए इंद्रलोक चली जाएगी।

जब अप्सरा उर्वशी इंद्रलोक छोड़कर धरतीलोक पर आ गई थी तो इस बात का देवता इंद्र को बहुत बुरा लगा था। अप्सरा उर्वशी को वापस इंद्रलोक लाने के लिए इंद्र ने एक चाल रची जिसके तहत उन्होंने गंर्धवों को रात्रि के समय उर्वशी के महल के पास भेजकर, उर्वशी की प्रिय भेड़ों को उठावा लिया। जिसके बाद भेड़ों की आवाज सुनकर उर्वशी बाहर आई।

भेड़ को ले जाते देखकर उर्वशी बहुत क्रोधित हुई उन्होंने पुरुरवा को आवाज दी। पंरतु पुरुरवा इतनी गहरी नींद में थे कि उन्हे आवाज नही सुनाई दी। तब उर्वशी ने क्रोधित होकर पुरुरवा को नपुंसक कहकर सम्बोधित किया। इस अपमान सूचक शब्द को सुनकर पुरुरवा को उर्वशी की शर्तें याद नहीं रही और वो वस्त्रहीन अवस्था में ही बाहर आ गए। इस अवस्था में पुरुरवा को देखकर उर्वशी ने अपनी शर्ते उन्हें स्मरण करवाई और इंद्रलोक की ओर प्रस्थान करने लगी।

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