पानी की कमी होने पर क्या करते हैं जानवर, इंसान हो जाएंगे शर्मिदा , पानी के बग़ैर ज़िंदगी जीने की कल्पना करना भी मुश्किल है। कोई इंसान पानी के बिना कुछ दिन तक ही ज़िंदा रह सकता है। मगर धरती का बढ़ते तापमान, अलग-अलग इलाक़ों में बार-बार सूखे के हालात पैदा कर रहा है। भूमध्य सागर का पूर्वी हिस्सा नौ सौ सालों के सबसे भयंकर सूखे का सामना कर रहा है। कुछ जानवरों को पानी की किल्लत से कई तरह की दिक़्क़तें झेलनी पड़ सकती हैं। लेकिन दुनिया में कई ऐसे जानवर भी हैं, जो महीनों-बरसों तक बिना पानी के रह सकते हैं।

सूखे इलाक़ों में रहने वाले जानवरों ने पानी की कमी से निपटने के लिए तरह-तरह की तरक़ीबें निकाली हैं। जैसे कि रेगिस्तान में पाया जाने वाला कछुआ, अपने शरीर के भीतर पानी जमा करके रखता है ताकि बुरा वक़्त आने पर उस पानी से काम चला सके।

लैटिन अमरीका के गैलेपैगोस द्वीप पर पाया जाने वाला कछुआ भी यही करता है। अपने शरीर के भीतर पानी जमा करता है। बारिश के मौसम में पत्तियों से पानी लेकर वो शरीर के भीतर एक थैली में जमा कर लेता है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक मेंढक अपने मुंह के पास एक थैली में पानी इकट्ठा करके रखता है। इस थैली में ये मेंढक अपने वज़न से दोगुना तक पानी जमा कर लेता है। फिर ये पांच सालों तक बिना पानी पिए काम चला सकता है।

वहां पर इस टोड की चमड़ी से एक कैमिकल रिसता है। इससे उसके बदन के ऊपर एक परत सी चढ़ जाती है। ये टोड ऐसे ही क़रीब दस महीने तक ज़मीन के भीतर छुपा रहता है। बारिश की आहट मिलते ही ये अपनी जगह से बाहर निकलता है। पेड़ों पर रहने वाले कुछ मेंढक भी इसी तरीक़े से पानी की कमी से निपटते हैं।

अफ्रीकी लंगफिश जो उथले पानी वाले ठिकानों में मिलती है, उसने तो पानी की कमी से निपटने के लिए अलग ही तरीक़ा निकाल लिया है। वो पानी में रहती है तो अपनी ऑक्सीजन की ज़रूरत पानी से पूरी करती है। भयंकर सूखे की स्थिति में ये मछली गड्ढा खोदकर उसमें छुप जाती है। अपने ऊपर सुरक्षा की एक परत चढ़ा लेती है। ऐसी हालत में लंगफ़िश तीन से पांच साल तक ज़िंदा रह सकती है।

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