वैसे तो दुल्हन के घर दूल्हा बारात लेकर जाता है, लेकिन राजस्थान के अलवर स्थित बहरोर में सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए दुल्हन ने महिला सशक्तिकरण का उदाहरण स्थापित किया। ये दुल्हन खुद ही बैंड-बाजा और बारात लेकर घोड़ा बग्गी में सवार होकर पहुंचीं।
बहरोड़ में बुधवार रात हुई इस अनूठी शादी को देखने के लिए विवाह स्थल पर रौनक लगी हुई थी। बग्गी में सवार हो कर दुल्हन के लिबाज में 25 साल की जिया शर्मा अपनी सहेलियों के संग नाचती-इठलाती समारोह स्थल पर पहुंचीं। जहां दुल्हे के परिवार वालों ने उनका स्वागत किया।दुल्हन की इस अनूठी बारात को लेकर दुल्हन व परिजनों का कहना था की यह शादी बेटी को बोझ ना समझकर बेटे बराबर सम्मान के साथ परिवार की खुशियों के साथ समाज की सोच बदलने का संदेश है।
दुल्हे के पिता गिराज शर्मा ने कहा, ‘इससे समाज में एक बड़ा संदेश जाएगा। राजस्थान में लोग अब भी लड़के ही चाहते हैं। इससे यह संदेश जाएगा कि लड़के और लड़कियों में कोई अंतर नहीं है।’ राजस्थान में 0-6 साल की कैटिगरी में सेक्स रेश्यो 2001 में 909 था जो 2011 की जनगणना में 888 तक गिर गया।
एमए इंग्लिश की छात्रा जिया ने बताया, ‘ बहरोड़ में स्कूल चलाने वाली मेरी मामी महिला सशक्तीकरण के लिए काफी लंबे समय से काम कर रही हैं। वह हमारे समाज में महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए संदेश देना चाहती थीं। हम खुश हैं कि हमारे इस आइडिया का लड़के की फैमिली ने भी स्वागत किया।’ जिया ने कहा कि इस शादी में कोई दहेज भी नहीं दिया गया है।
गुरुग्राम की मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाले लोकेश को भी यह आइडिया पसंद आया। उन्होंने बताया, ‘हमारी शादी याद की जाएगी क्योंकि हमने लड़के-लड़कियों की बराबरी का संदेश दिया है। इसमें शर्म करने जैसा कुछ नहीं है बल्कि मेरे लिए यह गर्व की बात है।’