हालांकि अब इस कथा पर काफी कम लोग यकीन करते हैं। ये लोग अपनी कई साल पुरानी सांकेतिक भाषा में बात करते हैं जिसे कोटा कोलोक कहते हैं। इसकी गांव की एक और खासियत यह है कि यहां जो बोल और सुन सकता है वह भी कोटा कोलोक सीखता है ताकि जो बोल-सुन नहीं सकते उनसे बात कर सके।

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