मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पानी की खोज में पांडव इस जगह पहुंचे थे। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि माता सती के वियोग में भगवान शिव की आंखों से दो आंसू धरती पर गिरे थे। इनमें से एक पुष्कर (राजस्थान) में और दूसरा कटासराज मंदिर में गिरा था। भगवान शिव के इसी आंसू से कटासराज में यह कुंड बना।
कुंड की विशेषता है कि यह कभी नहीं सूखता, इसके चलते श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है।इतिहासकारों की मानें तो यह मंदिर 900 साल पुराना है, जबकि मान्यता है कि हजारों साल पहले इस मंदिर का निर्माण खुद भगवान श्रीकृष्ण ने करवाया था।
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