कई बार एक्सपेरिमेंट के लिए वैज्ञानिक ऐसे व्यक्तियों को चुनते है जिन्होने कोई भयानक गुनाह या जिन्हे अपने जीवन से कोई मोह ना हो और यही कारण है की रूस के वैज्ञानिकों ने वहां के कैदीयों पर ये भयानक एक्सपेरिमेंट किया।
एक एक्सपेरिमेंट का नतीजा कितना भयानक और दर्दनाक हो सकता है, इसकी एक बानगी रूस में किये गए शोध के दौरान देखने को मिली। जिन 5 लोगों ने इसमें हिस्सा लिया उनका हाल देख वैज्ञानिकों की भी हालत पतली हो गई थी।
किस्सा 1940 के दशक का है। 5 कैदियों के साथ रूस वैज्ञानिकों से डील हुई कि उन्हें एक एक्सपेरिमेंट में हिस्सा लेना होगा जिसके खत्म होते ही उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। शोध के लिए पांचों कैदी 30 दिन तक न सोने के लिए राजी हो गए। शुरुआती 10 दिन आराम से बीते लेकिन शोध के 11वें दिन से हालात बिगड़ने लगे। वेबसाइट एलीट रीडर्स के मुताबिक, कैदी आपस में डरावनी बातें करने लगे।
दिन बीतते गए और उन्होंने आपस में बातें करना भी बंद कर दिया। एक दिन अचानक इनमें से एक कैदी जोर-जोर से चिल्लाने लगा और पूरे तीन घंटे तक पूरे कमरे में दौड़ता रहा। चौंकाने वाली बात ये रही कि बाकी कैदियों को इससे ज़रा सा भी फर्क नहीं पड़ा…
वैज्ञानिकों ने अध्ययन बीच में ही खत्म करने का फैसला किया। कैदियों को सोने से रोकने के लिए जो गैस दी जाती थी वो बंद कर दी गई। जब उन्हें कमरे से बाहर निकाला गया तो 5 में से एक की मौत हो चुकी थी। जब बाकियों के चेहरे से मास्क हटाई गई तो उसे देख सबके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई।
जेल कर्मी उन्हें छूने से भी कांपने लगे। उनके शरीर से कई जगह पर मांस गायब थी। शक्ल बुरी तरह बिगड़ चुकी थी और वे हिंसक हो चुके थे और यही नही ये लोग इचने बेसुद थे की खुद को ही नोंच नोंच कर खा रहे थे। इनकी ये हालत बहुत ही भयानक थी।