इसमें उसी 2डी लिडार टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है जिसका घरेलू कामकाज वाले रोबोट में किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी में किसी तरह के प्रकाश की पहचान और उसकी दूरी निर्धारित की जाती है। आम तौर पर इसका उपयोग भूगोल और पुरातत्व-संबंधी खोज में होता है। इसे लेसर स्कैनिंग भी कहते हैं। कंपनी का कहना है कि यह उन इलाकों के लिए उपयोगी है जहां मच्छर ज्यादा हैं लेकिन सुरक्षा बलों की तैनाती जरूरी है। अस्पतालों के लिए भी यह अच्छा उपकरण हो सकता है जहां तमाम साफ-सफाई के बावजूद मच्छर पनप जाते हैं और उन्हें मारने के लिए केमिकल के उपयोग में सतर्कता बरतनी पड़ती है।
स्कूलों और सार्वजनिक कार्यालयों में भी इसका अच्छा उपयोग हो सकता है। कंपनी ने अभी इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू नहीं किया है। कंपनी ने अभी यह नहीं बताया है कि वह किस तरह के लेसर का उपयोग कर रही है।
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