एक अनोखा विवाह- दादा दादी बनने की उम्र में बने हमसफर। शादी की भी अपनी एक उम्र निर्धारित होती है। उस उम्र तक अधिकांश जोड़े विवाह के बंधन में बंध जाते है।

बढ़ती उम्र व जिम्मेदारियों के बीच वक्त से पहले जब जीवन साथी साथ छोड़ जाता है तो जीवन में अकेलापन आना स्वाभाविक है। कुछ ऐसी ही कहानी है ब्यावर निवासी केसरदेवी की। पति व पुत्र की मौत के बाद वह अकेले ही जीवन गुजर बसर कर रही थी।

उसके आस-पास रहने वाले बताते हैं कि केसरदेवी ने मेहनत करना कभी नहीं छोड़ी लेकिन जीवन में अकेलापन तो खलता ही है।

मेड़ता के विश्नोईयों का बास जारोड़ा कला निवासी रामेश्वरलाल का हाथ थामने का निश्चय किया। रामेश्वरलाल की पत्नी का भी 11 साल पहले निधन हो चुका था। इन्होंने बुधवार को एक दूजे का हाथ थामा तो केसरदेवी के मिलने वाले भी पहुंच गए।

इस मौके पर सुमेरसिंह, जगदीश सेन, सम्पतराज सहित अन्य अतिथि भी उपस्थित थे। विवाह के पश्चात् बोले विवाह संपन्न होने के पश्चात रामेश्वरलाल ने बताया 11 वर्ष पूर्व पत्नी की मौत हो गई। परिवार में एक पुत्र व तीन पुत्रियां हैं।

एक पुत्री को छोड़कर सबका विवाह हो चुका है। अब बुढ़ापे का सहारे के लिए केसरदेवी से नाता विवाह कर लिया है। फिर केसरदेवी ने बताया मेरे पति व पुत्र की मौत के बाद अकेले जीवन यापन कर रही हूं। आगे के जीवन के लिए सामाजिक रीति रिवाज के अनुरुप नाता विवाह कर लिया है। जब जीवन में भागम-भाग की दौड़ में परिवार में एक-दूजे के लिए समय ही नहीं हो तो जीवन साथी की कमी खलना और अधिक प्रासंगिक हो जाता है।

जीवन के बीच पति व पुत्र साथ छोड़ जाए तो उस अकेलेपन की कल्पना खासी दुखदायक होती है। ऐसे में फिर जीवन में सुकून तलाशने केसरदेवी(55) एवं रामेश्वरलाल(56) एक दूजे का हाथ थाम हमसफर बने।

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